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भारत के राष्ट्रपति कौन है: एक नजर महाभारतीय संविधान के शीर्षक पद के महत्व पर

भारत के राष्ट्रपति कौन है भारत के राष्ट्रपति, भारत के संविधान के अनुसार, भारत के गणराज्य के प्रमुख और राज्य के प्रमुख हैं। वे भारत सरकार के तीनों अंगों, अर्थात् कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका, के शीर्ष में हैं। राष्ट्रपति का चुनाव, भारत के संविधान के अनुच्छेद 52 के अनुसार, एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य और सभी राज्यों के विधान सभाओं के सदस्य शामिल होते हैं।

वर्तमान में, भारत के राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू हैं। वे भारत की 15वीं राष्ट्रपति हैं। उनका जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर में हुआ था। उन्होंने 1979 में ओडिशा विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1983 में राजनीति में प्रवेश किया और 1997 से 2009 तक ओडिशा की मयूरभंज लोकसभा सीट से सांसद के रूप में कार्य किया।

भारत, एक महान और विविध संस्कृति वाला देश है, जिसमें समृद्ध इतिहास और संस्कृति का संगम होता है। इस बड़े देश की राजनीति और सरकार विशेषत: उसके राष्ट्रपति के रूप में। यह नहीं केवल एक सर्वोच्च पद है, बल्कि एक महत्वपूर्ण संविधानिक अधिकार भी है और एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रतीक है। इस लेख में, हम जानेंगे कि भारत के राष्ट्रपति कौन होते हैं, और उनकी भूमिका क्या है।

भाग 2: भारतीय संविधान और राष्ट्रपति की भूमिका

भारतीय संविधान एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो हमारे देश के संविधानिक और सामाजिक ढांचे को प्रतिष्ठापित करता है। इसका प्रारम्भ 26 जनवरी 1950 को हुआ था, और इसने भारतीय गणराज्य की नींव रखी।

राष्ट्रपति, भारतीय संविधान के अनुसार, देश के सर्वोच्च कार्यकारी पद पर बैठते हैं। वे सरकार के मुख्य आदर्श और मार्गदर्शक होते हैं और उनकी भूमिका भारतीय गणराज्य की सुरक्षा, एकता, और संविधान की पालन की सुनिश्चित करना होता है।

भाग 3: राष्ट्रपति का चयन और कार्यक्षेत्र

भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति का चयन जनमत से होता है। वे प्रत्येक पांच साल में चुने जाते हैं, और इसके लिए एक साधारण नागरिक की उम्र कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। इसके लिए प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के रूप में चयनित होने वाले व्यक्ति को राष्ट्रीय नामक क्षण में जाने जाते हैं।

राष्ट्रपति के कार्यक्षेत्र भी विस्तार होता है। वे देश के सर्वोच्च संविधानिक पद के अलावा भी कई अन्य कार्यों का भी निर्वाचन करते हैं, जैसे कि वे विश्वपति, भारतीय सशस्त्र सेना के सर्वोच्च कमांडर, और विभिन्न संगठनों के प्रमुख होते हैं।

भाग 4: राष्ट्रपति की भूमिका और शक्तियाँ

राष्ट्रपति की प्रमुख भूमिका देश की सर्वोच्च संविधानिक प्राधिकृति के प्रति सहानुभूति करना है। वे संविधान के पालन की सुनिश्चित करने और विभिन्न संविधानिक कानूनों को मंजूर करने की जिम्मेदारी निभाते हैं।

राष्ट्रपति के पास कई अन्य महत्वपूर्ण शक्तियाँ भी होती हैं। उनमें से एक है उनका अधिकार सशस्त्र सेना के बारे में निर्णय लेने का, जिसमें वे सर्वोच्च सेना प्रमुख के साथ काम करते हैं। वे भी अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंध बनाने और संरक्षण करने का अधिकार रखते हैं।

भारत के प्रमुख राष्ट्रपतियाँ
भारतीय राष्ट्रपति का महत्व

भाग 5: भारतीय राष्ट्रपतियों का इतिहास

भारतीय गणराज्य के बनने के बाद, हमारे देश ने कई महान और प्रतिष्ठित राष्ट्रपतियों को देखा है। पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, जो 1950 से 1962 तक इस पद पर रहे। उनके बाद कई अन्य महान व्यक्तियों ने इस पद को संभाला, जैसे कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. ज़ाकिर हुसैन, डॉ. आब्दुल कलाम, और प्रतिभा पाटिल।

भाग 6: राष्ट्रपति का महत्व

राष्ट्रपति का महत्व भारतीय संविधान के तहत एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वे देश के संविधानिक प्राधिकृति के प्रति सहानुभूति करते हैं और उसे प्रमोट करने का काम करते हैं।

राष्ट्रपति का कार्यक्षेत्र भी विस्तार होता है और वे विभिन्न समुदायों और संगठनों के साथ मिलकर कई सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यों का समर्थन करते हैं। वे देश के उत्कृष्ट विज्ञानी, कलाकार, और खिलाड़ियों के साथ भी जुड़ते हैं और उन्हें सम्मानित करते हैं।

भाग 7: समापन

राष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान के शीर्षक पदों में से एक है और उनका महत्व देश के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वे न केवल देश की संविधानिक प्राधिकृति के प्रति सहानुभूति करते हैं, बल्कि वे देश के एकता और सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इसलिए, हमें राष्ट्रपति के पद की महत्वपूर्ण भूमिका को समझना और महत्वपूर्ण संविधानिक प्राधिकृति के प्रति हमारी सजगता बनाए रखना चाहिए। इस पद को सहानुभूति और समर्थन की दिशा में देखना हमारे देश के विकास और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, और यह हमारे गणराज्य की गरिमा को बढ़ावा देता है।

2000 से 2004 तक, श्रीमती मुर्मू ओडिशा की राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। 2004 से 2009 तक, उन्होंने ओडिशा के स्कूली शिक्षा और महिला और बाल विकास मंत्री के रूप में कार्य किया। 2015 से 2021 तक, उन्होंने झारखंड की राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

20 जुलाई, 2022 को, श्रीमती मुर्मू भारत के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुईं। उन्होंने 25 जुलाई, 2022 को पद और गोपनीयता की शपथ ली।

श्रीमती मुर्मू भारत की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति हैं। वे भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति भी हैं, जिन्होंने कभी भी राज्यपाल के रूप में कार्य किया है।